दिवाली 2023: तारीख और समय, भारत में दीपावली की तारीख, मुहूर्त ट्रेडिंग, अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
दीपावली, भारतीय संस्कृति का सबसे प्रमुख और धार्मिक त्योहार है। 2023 में इस शुभ अवसर का आयोजन 12/11/2023 को होगा। इस दिन लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त शाम 06:11 PM बजे से 08:15 PM बजे तक होगा।
दीपावली का त्योहार भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में पूजा आयोजित करते हैं, मिठाईयाँ बनाते हैं, और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं। दीपावली के इस शुभ अवसर पर, हर घर दीपों से रौंगते में आ जाता है और पूरे देश में उत्सव का माहौल बन जाता है।
अगर आप “Diwali 2023 Date and Time in India” जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। इस त्योहार को मनाने का तरीका हर वर्ष समान होता है, लेकिन तारीख और समय हर वर्ष बदलता है।
दीपावली, प्रकाश का त्योहार, भारतीय संस्कृति में प्रमुख और अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे विजय की प्रतीक रूप में मनाया जाता है, जब अच्छाई बुराई पर विजय प्राप्त करती है।
दीपावली के त्योहार का महत्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग है। कुछ जगहों पर इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या वापसी की खुशी में मनाया जाता है, जबकि कुछ जगहों पर यह महाराष्ट्रीय किंग बाली के साथ भगवान विष्णु के संवाद को याद करने के लिए मनाया जाता है।
भारतीय घरों में दीपावली की तैयारियाँ महीनों पहले ही शुरू हो जाती हैं। घरों की सफाई, नए कपड़े, मिठाईयों की तैयारी, और उपहारों की खरीददारी इस त्योहार का हिस्सा बनती है।
दीपावली की रात को, घरों में दीपक जलाए जाते हैं, पटाखे फोड़े जाते हैं, और परिवार के सभी सदस्य मिलकर लक्ष्मी पूजा करते हैं। यह त्योहार खुशियों, उम्मीदों, और समृद्धि की प्रतीक है।
2023 में दिवाली कब है?: When is Diwali or Deepawali 2023?
भारत में दिवाली 2023 12 नवंबर (रविवार) को मनाई जाएगी। प्राचीन कैलेंडर के अनुसार, दिवाली हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या (या अमावस्या) – 15वें दिन – मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल दिवाली दशहरा 2023 त्योहार के 20 दिन बाद मनाई जाएगी। दिवाली को पूरे देश में राजपत्रित अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
2023 में दिवाली: तारीख, इतिहास, और उसका भारतीय संस्कृति में महत्व
दिवाली, जिसे ‘प्रकाश का त्योहार’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में सबसे बड़ा और सबसे अधिक मनाया जाने वाला त्योहार है। 2023 में दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
दिवाली का इतिहास और महत्व भारत: History and Significance of Diwali in India
दिवाली के पीछे अनेक कथाएं हैं। उत्तर भारत में इसे भगवान श्रीराम की अयोध्या लौटने की याद में मनाया जाता है। जिस रात वे अयोध्या लौटे, उस रात को अमावस्या थी, और उसी कारण घरों में दीपक जलाए जाते हैं। दक्षिण भारत में दिवाली को भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर की मौत की याद में मनाया जाता है।
दिवाली न केवल प्रकाश का त्योहार है, बल्कि यह एक नई शुरुआत, नए आशा-विश्वास का पर्व भी है। इसके साथ ही यह त्योहार परिवारों को मिलाने का कारण भी बनता है।
2023 में दिवाली: भारतीय संस्कृति में पांच दिवसीय उत्सव की महाकाव्य
दिवाली, जिसे ‘दीपोत्सव’ भी कहा जाता है, भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पांच दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें प्रत्येक दिन की अपनी विशेषता होती है।
10 नवंबर 2023 – धनतेरस:
इस दिन धन की उपासना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन धन और संपत्ति में वृद्धि होती है। मुहूर्त समय सायं 06:02 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक है।
11 नवंबर 2023 – छोटी दिवाली:
इसे ‘नरक चतुर्दशी’ भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारा था। मुहूर्त समय रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:32 बजे तक है।
12 नवंबर 2023 – दिवाली:
यह ही वह प्रमुख दिन है जब लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं और महालक्ष्मी की पूजा करते हैं। मुहूर्त समय शाम 05:40 बजे से शाम 07:36 बजे तक है।
13 नवंबर 2023 – गोवर्धन पूजा:
यह दिन भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कथा की स्मृति में मनाया जाता है। मुहूर्त समय प्रातः 06:18 से प्रातः 08:36 तक है।
14 नवंबर 2023 – भाई दूज:
इस दिन बहनें अपने भाईयों के लिए पूजा करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं। मुहूर्त समय दोपहर 01:17 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक है।
2023 में दीपावली पूजा विधियाँ, महत्व और मार्गदर्शिका: 2023 Diwali Puja Vidhi
दीपावली, भारतीय संस्कृति का एक ऐतिहासिक त्योहार है, जिसे प्रकाश और उम्मीद के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
घर की सफाई: पूजा की आरंभिक तैयारी में घर की सफाई शामिल है। परंपरागत रूप से, यह माना जाता है कि देवी लक्ष्मी सिर्फ उस घर में प्रवेश करती हैं, जो शुद्ध और साफ हो। इसलिए, घर की सफाई और सजावट का महत्व है।
पूजा वेदी का निर्माण: वेदी की स्थापना की जाती है ताकि पूजा की सभी सामग्री व्यवस्थित रूप में रखी जा सके। यह वेदी पूजा के दौरान देवता-देवी की स्थली के रूप में कार्य करती है।
लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिष्ठा: दीपावली पर लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है,
अभिषेक: मूर्तियों का अभिषेक पंचामृत और शुद्ध जल से किया जाता है। इससे मूर्तियाँ शुद्ध होती हैं और उन्हें दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है।
रोली, चावल और हल्दी का तिलक: तिलक का अर्थ है शुभकामना। इसके अलावा, यह देवी-देवता की शुद्धता और ऊर्जा को प्रकट करता है।
दीपक जलाएं: दीपक का प्रकाश अंधकार पर विजय प्रतिष्ठापित करता है और घर में प्रकाश और ऊर्जा का संचार करता है।
मंत्र-जाप: मंत्र जपने से घर में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है और इससे पूजा की गंभीरता और शक्ति बढ़ती है।
प्रसाद की चढ़ावा: प्रसाद की चढ़ावा से हम अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करते हैं और देवी-देवता से उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
दीपावली: प्रकाश और संस्कृति के प्रतीक
दीपावली भारतीय संस्कृति का वह त्योहार है जो प्रकाश, आशा और अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस त्योहार से जुड़े विभिन्न प्रतीकों की गहराई में जानते हैं:
1. दीये: जब हम दीवाली की चर्चा करते हैं, तो पहली बात जो मन में आती है, वह है जलते हुए दीये। ये दीये अंधकार को दूर करने और जीवन में प्रकाश लाने का प्रतीक हैं।
2. रंगोली: रंगोली कला की एक अद्वितीय शाखा है। यह घर की पवित्रता और सौभाग्य को प्रकट करता है।
3. आतिशबाज़ी: यह उत्सव की रोमांचकता और उल्लास को बढ़ावा देती है। प्रत्येक पटाखा अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
4. लक्ष्मी पूजा: दीपावली की रात लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं।
5. गणेश पूजा: भगवान गणेश नई शुरुआतों और सफलता के प्रतीक हैं। दीपावली पर उनकी पूजा से बाधाओं का नाश होता है।
6. तोरण: तोरण घर के प्रवेश द्वार को सजाने का पारंपरिक तरीका है। यह समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करता है।
दीवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व क्या है?: What is the Significance of Laxmi Puja on Diwali in India?
दीवाली को ‘प्रकाश का त्योहार’ कहा जाता है, लेकिन इसके साथ ही यह त्योहार समृद्धि, सौभाग्य और अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है। इसी भावना में, दीवाली की रात को देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है।
देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से घर में समृद्धि और सुख-शांति की वृद्धि होती है। दीवाली की रात को लक्ष्मी पूजा करने से विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त होती है और यह माना जाता है कि वे उस समय पूजनीय होती हैं।
इस अवसर पर, व्यक्ति अपने व्यापार और धन की वृद्धि की प्रार्थना करते हैं। यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को लक्ष्मी पूजा से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
भारत में दिवाली विभिन्न स्थानों पर कैसे मनाया जाता है?
1. उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश, भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक है, जहाँ दिवाली का महत्व खास है। यहाँ इस त्योहार को भगवान राम की अयोध्या वापसी के रूप में मनाया जाता है। अयोध्या, जो भगवान राम की जन्मभूमि मानी जाती है, उसमें लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिससे पूरा शहर प्रकाशमान हो जाता है। यहाँ के लोग इस अवसर पर नई वस्त्र पहनते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं और परिवार के साथ मिलकर पूजा करते हैं।
2. पंजाब:
पंजाब में दिवाली के त्योहार को विशेष रूप से ‘बंदी छोड़ दिवस’ के नाम से मनाया जाता है। इस दिन सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद जी को मुग़ल सम्राट जहांगीर की कैद से छुड़ाया गया था। पंजाब में इस दिन बड़ी धूमधाम से पटाखे फोड़े जाते हैं और घर-घर में दीये जलाए जाते हैं। लोग गुरुद्वारे जाकर प्रार्थना करते हैं और इस दिन का महत्व मनाते हैं।
3. गुजरात:
गुजराती समुदाय में दिवाली को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। गुजरात में इसे ‘नूतन वर्ष’ के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से सजी-धजी अपने घरों में पूजा करते हैं और नववर्ष की शुरुआत का जश्न मनाते हैं। गुजरात में दिवाली पर बनाई जाने वाली खास मिठाई ‘घारी’ है।
4. बंगाल:
पश्चिम बंगाल में दिवाली का त्योहार माँ काली के सम्मान में मनाया जाता है। यहाँ इसे ‘काली पूजा’ के रूप में जाना जाता है। बंगाली लोग इस दिन भव्य पूजा आयोजित करते हैं और माँ काली की आराधना करते हैं। इस अवसर पर पूरे राज्य में विशेष रंगोली और अलंकरण की जाती है।
5. महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में दिवाली का महत्व अन्य राज्यों की तरह ही विशेष है। यहाँ इस त्योहार को पाँच दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें ‘वसुबरस’, ‘धनतेरस’, ‘नरक चतुर्दशी’, ‘लक्ष्मी पूजा’, और ‘बाळी प्रतिपदा’ शामिल हैं। दिवाली की रात को लक्ष्मी पूजा की जाती है और घर-घर में दीये जलाए जाते हैं।
6. तमिलनाडु:
तमिलनाडु में दिवाली को ‘दीपावली’ कहकर मनाया जाता है। यहाँ भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध की याद में यह त्योहार मनाया जाता है। लोग सुबह समुद्र या नदी में स्नान करते हैं और फिर पूजा करते हैं।
7. राजस्थान:
राजस्थानी संस्कृति में दिवाली का विशेष महत्व है। यहाँ के लोग घरों की सजावट और रंगोली से पूरा राज्य रंगीन और प्रकाशमान हो जाता है। घर-घर में विशेष मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और परिवार के साथ मिलकर पूजा की जाती है।
8. कर्नाटक:
कर्नाटक में दिवाली के त्योहार को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यहाँ पर विशेष रूप से भगवान विष्णु की विजय की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है। लोग नवीन वस्त्र पहनते हैं, घरों की सजावट करते हैं और पूजा करते हैं।
निष्कर्ष: Conclusion
दीवाली पर लक्ष्मी पूजा का महत्व न केवल धन और समृद्धि में वृद्धि के लिए है, बल्कि यह हमें जीवन में सच्चे मूल्यों और अध्यात्म की ओर प्रवृत्त करता है। यह पूजा हमें यह सिखाती है कि असली समृद्धि शारीरिक संपत्ति में नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और सहयोग में है। इसलिए, हर वर्ष दीवाली के पावन पर्व पर लक्ष्मी पूजा करना केवल हमारे व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि हमें जीवन के अधिक महत्वपूर्ण पहलुओं की समझ में भी बढ़ोत्तरी करता है।
दिवाली संबंधित प्रश्नोत्तर (FAQs)
1. दिवाली कब मनाई जाती है?
आंसर: दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। 2023 में यह 12 नवंबर को पड़ रही है।
2. दिवाली मनाने का प्रमुख कारण क्या है?
आंसर: दिवाली को भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण को हराया था।
3. दिवाली पर कौन-कौन सी पूजा की जाती है?
आंसर: दिवाली पर मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
4. आतिशबाजी क्यों जलाई जाती है?
आंसर: आतिशबाजी जलाने से बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि आतिशबाजी बुरी ऊर्जा और बुरी आत्माओं को दूर रखती है।
5. दिवाली पर रंगोली क्यों बनाई जाती है?
आंसर: रंगोली सौभाग्य और अच्छी ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए बनाई जाती है। यह भी घर की सुंदरता और सजावट में योगदान करती है।
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